चौदह सौ तैतीस को माघ सुदी पंदरास|दु:ख़ियारे कल्याण हित ,प्रकटे संत|| पंद्रह सौ चऊबीस भई चितौर मेँ भीर| जर जर देह कंचन भई, रवि- रवि मिल्यो शरीर||
रविदासजी के दोहे
चौदह सौ तैतीस को माघ सुदी पंदरास|दु:ख़ियारे कल्याण हित ,प्रकटे संत|| पंद्रह सौ चऊबीस भई चितौर मेँ भीर| जर जर देह कंचन भई, रवि- रवि मिल्यो शरीर||
रविदासजी के दोहे