Hindi Literature
                   चौदह सौ तैतीस को माघ सुदी पंदरास|दु:ख़ियारे कल्याण हित ,प्रकटे संत||       पंद्रह सौ चऊबीस भई चितौर मेँ भीर| जर जर देह कंचन भई, रवि- रवि मिल्यो शरीर||

रविदासजी के दोहे