- देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाये है / गा़लिब
- देखना भी चाहूँ / वेणु गोपाल
- देखना सुनना सुनाना सोचना / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- देखना हर सुब्ह तुझ रुख़सार का / वली दक्कनी
- देखने में रास्ता छूट गए हैं सब नज़ारे / जया झा
- देखा-अदेखा / लीलाधर मंडलोई
- देखा अदेखा / लीलाधर मंडलोई
- देखा अनदेखा / लीलाधर मंडलोई
- देखा करो भगवान गरीबों का तमाशा / दासी
- देखा गया हूँ / निदा फ़ाज़ली
- देखा मुखौटा किसका / मोहन राणा
- देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ / निदा फ़ाज़ली
- देखा है ज़िन्दगी को कुछ इतना क़रीब से / साहिर लुधियानवी
- देखा है तुम्हें जब से / तेजेन्द्र शर्मा
- देखि री देखि हरि बिलखात / सूरदास
- देखि री नंद-नंदन ओर / सूरदास
- देखिये-तो / इसाक अश्क
- देखिये न मेरी कारगुज़ारी / अज्ञेय
- देखी ग्वालि जमुना जात / सूरदास
- देखूँ सबके उर की डाली / सुमित्रानंदन पंत
- देखो-सोचो-समझो / भगवतीचरण वर्मा
- देखो अद्भुत अबिगत की गति, कैसौ रूप धर्यौ है / सूरदास
- देखो सावन में हिंडोला झूलैं (कजरी) / खड़ी बोली
- देखो सावन में हिंडोला झूलैं (कजली) / खड़ी बोली
- देखौ माई ! बदरनि की बरियाई / सूरदास
- देखौ माई कान्ह हिलकियनि रोवै / सूरदास
- देखौ री! जसुमति बौरानी / सूरदास
- देखौ री नँद-नंदन आवत / सूरदास
- देख्यौ नँद-नंदन, अतिहिं परम सुख पायौ / सूरदास
- देर तक / प्रेमशंकर शुक्ल
- देर तक बारिश होती / शहरयार
- देर से / निदा फ़ाज़ली
- देर हो गई है... / केदारनाथ अग्रवाल
- देव अब वरदान कैसा! / महादेवी वर्मा
- देव विभूति से मनुष्यत्व का यह / तारा सिंह
- देव शिल्पी /लीलाधर जगूड़ी
- देवता दुखी हैं / कुमार मुकुल
- देवताओं का स्वप्न / पंकज सिंह
- देवपाल-दूती-खंड / मलिक मोहम्मद जायसी
- देवभाषा / अरुण कमल
- देवमणि पांडेय / परिचय
- देवरस-दानवरस /नागार्जुन
- देवा हम न पाप / रैदास
- देवी की माया / अनिल जनविजय
- देवी तुम तो काले धन की बैसाखी पर खड़ी हुई हो - नागार्जुन
- देश-दीपक / महेन्द्र भटनागर
- देश-देश की कविताएँ / केदारनाथ अग्रवाल
- देश / राजा खुगशाल
- देश की आशाएँ / केदारनाथ अग्रवाल
- देश की धरती / रामावतार त्यागी
- देशगान / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- देशगीत : अनुरागमयी वरदानमयी / महादेवी वर्मा
- देशगीत : मस्तक देकर आज खरीदेंगे हम ज्वाला / महादेवी वर्मा
- देशयात्रा खंड / मलिक मोहम्मद जायसी
- देशान्तर / धर्मवीर भारती
- देशी रजवाड़े / महेन्द्र भटनागर
- देशोद्धारकों से / प्रभाकर माचवे
- देस मेरा / अनातोली पारपरा
- देह का सिंहनाद / कुबेरदत्त
- देह के रहते ज़माने की / कमलेश भट्ट 'कमल'
- देह नृत्यशाला / अशोक चक्रधर
- देह यह बन जाए केवल पाँव / ठाकुरप्रसाद सिंह
- देहु कलाली एक पियाला / रैदास
- दै री मैया दोहनी, दुहिहौं मैं गैया / सूरदास
- दैरों में गुनाहों की तरह / संजय चतुर्वेद
- दो-चार / पदुमलाल पन्नालाल बख्शी
- दो-पहर / कैफ़ी आज़मी
- दो : पत्नी के लिए / धूमिल
- दो अनुभूतियाँ / अटल बिहारी वाजपेयी
- दो आवाजें / मोहन राणा
- दो ऐसे पल हों जीवन के / सुमित्रा कुमारी सिन्हा
- दो गुलाब के फूल छू गए जब से होठ अपावन मेरे / गोपालदास "नीरज"
- दो चार पल सही कभी ऐसा दिखायी दे / शैलेश ज़ैदी
- दो चार बार हम जो कभी / कुँअर बेचैन
- दो चार बार हम जो कभी / कुँवर बेचैन
- दो छोटी कविताएँ / मदन डागा
- दो जीवन / केदारनाथ अग्रवाल
- दो दुश्मन / तो हू
- दो ध्रुव / महेन्द्र भटनागर
- दो न / लाल्टू
- दो नदियां हैं / प्रमोद कौंसवाल
- दो नयन / हरिवंशराय बच्चन
- दो निजी कविताएँ / अजित कुमार
- दो पोज़ / दुष्यंत कुमार
- दो प्रेमी / सुन्दरचन्द ठाकुर
- दो बातें और एक तर्क / अजित कुमार
- दो बूँदे
- दो बूँदें / जयशंकर प्रसाद
- दो मिनट / नोमान शौक़
- दो मिसरे / विजय वाते
- दो मुझे / मोहन कुमार डहेरिया
- दो लड़कियों का पिता होने से / चन्द्रकान्त देवताले
- दो लड़के / सुमित्रानंदन पंत
- दो शरण / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- दो शराबियों की बातचीत का एक टुकड़ा / कुमार विकल
- दो शेर / मदन डागा
- दो सजा मुझको असंयत कामना के ज्वार पर / रामेश्वर शुक्ल 'अंचल'
- दो साँप / स्वप्निल श्रीवास्तव
- दो हाथियों की लड़ाई / उदय प्रकाश
- दोउ भैया जेंवत माँ आगैं / सूरदास
- दोउ भैया मैया पै माँगत / सूरदास
- दोनो जहाँ तेरी मोहब्बत में हार के / फ़ैज़
- दोनों ओर प्रेम पलता है / मैथिलीशरण गुप्त
- दोनों चित्र सामने मेरे / हरिवंशराय बच्चन
- दोनों जहाँ देके वो समझे ये ख़ुश रहा / ग़ालिब
- दोपहर / नचिकेता
- दोपहर का भोजन / कुमार विकल
- दोपहर के अलसाये पल / पाब्लो नेरुदा
- दोपहर के अलसाये पल / लावण्या शाह
- दोपहर मई / चन्द्रकान्त देवताले
- दोपहरी / महेन्द्र भटनागर
- दोपहरी सूनापन / विजया सती
- दोस्त, देखते हो जो तुम / नामवर सिंह
- दोस्त / मोहन कुमार डहेरिया
- दोस्त अहबाब की नज़रों में बुरा हो गया मैं / शहरयार
- दोस्त की नई पत्नी के गाल पर / हेमन्त शेष
- दोस्त की वापसी / वीरा
- दोस्त के लिए (दो) / राजा खुगशाल
- दोस्त के लिए / चंद्रभूषण
- दोस्त के लिए / राजा खुगशाल
- दोस्त ग़मख़्वारी में मेरी सअई फ़रमायेंगे क्या / ग़ालिब
- दोस्त दोस्त न रहा प्यार प्यार न रहा / शैलेन्द्र
- दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला / फ़राज़
- दोस्त हो जब दुश्मने-जाँ / ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'
- दोस्ती / अनातोली पारपरा
- दोस्ती के आम / रति सक्सेना
- दोस्तो, हमारा एक-एक पल / ब्रजमोहन
- दोस्तों का है अजब ढब / देवी नांगरानी
- दोहरा नागरिक / तेजेन्द्र शर्मा
- दोहा
- दोहावली
- दोहावली / कबीर
- दोहे / अमीर खुसरो
- दोहे / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
- दौड़ता चला आया / राजी सेठ
- दौलत और नींद / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
- द्यूत क्रीड़ा-गृह है, सजा हुआ / तारा सिंह
- द्रुत झरो / सुमित्रानंदन पंत
- द्रुम कुसुमय, सलिल सरसिजमय / कालिदास
- द्रुम चढ़ि काहे न टेरौ कान्हा, गैयाँ दूरि गई / सूरदास
- द्वन्द्व / उंगारेत्ती
- द्वापर / मैथिलीशरण गुप्त
- द्वारपाल / उदय प्रकाश
- द्वारिका चरित / सूरदास
- द्वारिका प्रमाण / सूरदास
- द्वितीय अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति
- द्वितीय अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति
- द्वितीय अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति
- द्वितीय अध्याय / द्वितीय वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति
- द्वितीय अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति
- द्वितीय अध्याय / प्रथम वल्ली / भाग २ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति
- द्वितीय खंड / केनोपनिषद / मृदुल कीर्ति
- द्वितीय प्रश्न / भाग १ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति
- द्वितीय प्रश्न / भाग २ / प्रश्नोपनिषद / मृदुल कीर्ति
- धँसी है आँख मिट्टी में, निगाहें आसमानों में / विनय कुमार
- धड़कते, साँस लेते, रुकते / आलोक श्रीवास्तव-१
- धड़कन धड़कन / अज्ञेय
- धधकती आग / महेन्द्र भटनागर
- धन-जन से मैं घिरा हुआ हूँ / रवीन्द्रनाथ ठाकुर
- धनतेरस / अरुण कमल
- धनि-धनि नंद-जसोमति, धनि जग पावन रे / सूरदास
- धनि गोबिंद जो गोकुल आए / सूरदास
- धनि जसुमति बड़भागिनी, लिए कान्ह खिलावै / सूरदास
- धनि यह बृंदावन की रेनु / सूरदास
- धन्य तू विनोबा ! / अटल बिहारी वाजपेयी
- धन्यवाद / महेन्द्र भटनागर
- धन्यवाद इमरू उल कैस /सादी युसुफ़
- धन्यावाद के पात्र --------------------------
- धमक / अरुण कमल
- धमकी में मर गया / गा़लिब
- धमधूसर कव्वाल / काका हाथरसी
- धरती और नारी / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति
- धरती और भार / अरुण कमल
- धरती का गीत / महेन्द्र भटनागर
- धरती की पुकार / महेन्द्र भटनागर
- धरती की सतह पर / अदम गोंडवी
- धरती जानती है / यहूदी आमिखाई
- धरती जानती है / येहूदा आमिखाई
- धरती मिट्टी का ढेर नहीं है अबे गधे / वीरेन डंगवाल
- धरती से सोना उगाने वाले / ब्रजमोहन
- धरती सोई थी / श्याम सखा ’श्याम’
- धरा-व्योम / अज्ञेय
- धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ / गोपालदास "नीरज"
- धरा को उठाओ / गोपालदास "नीरज"
- धर्म / दुष्यंत कुमार
- धर्म / महेन्द्र भटनागर
- धर्म : दो कविताएँ / मोहन कुमार डहेरिया
- धर्म और अध्यात्म / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति
- धर्म की कमाई / त्रिलोचन
- धर्म की चादर तान रे बन्दे / ब्रजमोहन
- धर्मयज्ञ / महेन्द्र भटनागर
- धर्मवीर भारती / परिचय
- धवल चंदन लेप पर सित हार / कालिदास
- धागे / सुभाष काक
- धान के खेत / स्वप्निल श्रीवास्तव
- धान के ये फूल / ठाकुरप्रसाद सिंह
- धार / अरुण कमल
- धारा-लेखन / नलिन विलोचन शर्मा
- धारा / बलबीर माधोपुरी
- धार्मिक दंगों की राजनीति / शमशेर बहादुर सिंह
- धार्मिक लोक रचनाएँ
- धार्मिक विचारों को लेकर / शहंशाह आलम
- धीर धरने की बात करते हैं / जहीर कुरैशी
- धीर धीर साथ म्हारा गाव / निमाड़ी
- धीरे-धीरे उत्तर क्षितिज से / महादेवी वर्मा
- धीरे-धीरे हम / केदारनाथ सिंह
- धीरे धीरे उतर क्षितिज से / महादेवी वर्मा
- धीरे धीरे पुरवैया लहराने लगी / त्रिलोचन
- धीरे धीरे शाम चली आई / देवी नांगरानी
- धुंधुवाता अलाव / नामवर सिंह
- धुन ये है / कृष्ण बिहारी 'नूर'
- धुरि भरे अति सोहत स्याम जू / रसखान
- धूप / अज्ञेय
- धूप / केदारनाथ अग्रवाल
- धूप / राकेश खंडेलवाल
- धूप : एक गौरइया / स्नेहमयी चौधरी
- धूप उतारे राई-नोन / यश मालवीय
- धूप का गीत / केदारनाथ अग्रवाल
- धूप की चिरैया / तारादत्त निर्विरोध
- धूप की नदी / स्वप्निल श्रीवास्तव
- धूप के अँधेरे में/ मोहन राणा
- धूप के अँधेरे में / मोहन राणा
- धूप के धान / अचल वाजपेयी
- धूप कोठरी के आईने में खड़ी / शमशेर बहादुर सिंह
- धूप खिली थी और रिमझिम वर्षा / येव्गेनी येव्तुशेंको
- धूप पिए पानी लेटा है... / केदारनाथ अग्रवाल
- धूप में एक रविवार / सुन्दरचन्द ठाकुर
- धूप में गडा धन कौन पाएगा / केदारनाथ अग्रवाल
- धूप में निकलो घटाओं में नहाकर देखो / निदा फ़ाज़ली
- धूप ये अठखेलियाँ हर रोज़ करती है / दुष्यंत कुमार
- धूप रात माटी / शैलेन्द्र चौहान
- धूप सा तन दीप सी मैं / महादेवी वर्मा
- धूमिल की अंतिम कविता / धूमिल
- धूमिल की अन्तिम कविता / धूमिल
- धूरि भरे अति सोहत स्याम जू / रसखान
- धूल-श्री / महेन्द्र भटनागर
- धूल / प्रयाग शुक्ल
- धूल भरी दोपहरी / नेमिचन्द्र जैन
- धूल भी नहीं / पूर्णिमा वर्मन
- धूलि में तुम मुझे भर दो / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- धूसर बुदबुद-सा / कुमार मुकुल
- धेनु दुहत हरि देखत ग्वालनि / सूरदास
- धेनुएँ / सुमित्रानंदन पंत
- धोखा हुआ / महेन्द्र भटनागर
- धोखे में डाल सकते हैं /नागार्जुन
- धोखैं ही धोखैं डहकायौ / सूरदास
- धोता हूँ जब मैं पीने को उस सीमतन के पाँव / गा़लिब
- धोबी / मोहन राणा
- धोबी के गीत / भोजपुरी
- धोबी गया घाट पर / केदारनाथ अग्रवाल
- धौलाधार / अनूप सेठी
- ध्यान की उष्मा कर्म की उर्जा / ईहातीत क्षण / मृदुल कीर्ति
- ध्रुवांतर / कुमार विकल
- ध्वंस और सृष्टि / महेन्द्र भटनागर
- ध्वज-वंदना / रामधारी सिंह "दिनकर"
- ध्वज गीत : फहराता है आज तिरंगा / महादेवी वर्मा
- ध्वज गीत : विजयनी तेरी पताका!/ महादेवी वर्मा
- ध्वनि / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- ध्वनि / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- न आँगन / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
- न आदमी है-- / केदारनाथ अग्रवाल
- न आया वह / केदारनाथ अग्रवाल
- न इश्क / केदारनाथ अग्रवाल
- न किसी की आँख का नूर हूँ / ज़फ़र
- न कुछ, तुम एक चित्र हो / केदारनाथ अग्रवाल
- न कोई ख़्वाब न ताबीर ऐ मेरे मालिक / फ़राज़
- न गँवाओ नावक-ए-नीम-कश, दिल-ए-रेज़ रेज़ गँवा दिया / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- न गुल-ए-नग़्मा हूँ / गा़लिब
- न चाहूं मान / राम प्रसाद बिस्मिल
- न चूम सकूँ, न प्यार कर / नाज़िम हिक़मत
- न छुए आकाश मुझे / केदारनाथ अग्रवाल
- न जाओ हाल-ए-दिल-ए-ज़ार देखते जाओ / दाग़ देहलवी
- न जाना आज तक क्या शै ख़ुशी है / फ़िराक़ गोरखपुरी
- न जाने किस हाथ के लिए / हेमन्त शेष
- न जाने कैसी आज़ादी /रमा द्विवेदी
- न जाने क्या था, जो कहना था / गुलज़ार
- न जाने क्यों / महेन्द्र भटनागर
- न जाने हुई बात क्या / त्रिलोचन
- न जी भर के देखा न कुछ बात की / बशीर बद्र
- न टूटो तुम / केदारनाथ अग्रवाल
- न डूबे हैं / केदारनाथ अग्रवाल
- न तू ज़मीं के लिए है / साहिर लुधियानवी
- न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता / ग़ालिब
- न दैन्यं न पलायनम्. / अटल बिहारी वाजपेयी
- न दैन्यं न पलायनम् / अटल बिहारी वाजपेयी
- न धरती पर / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'
- न धूप को है / केदारनाथ अग्रवाल
- न पलटना उधर / शमशेर बहादुर सिंह
- न बीचारिओ राजा राम को रसु / रैदास
- न बुलाओ तुम मुझे इस समय... / केदारनाथ अग्रवाल
- न भूला था / अनिल जनविजय
- न भूलेगी मुझे / केदारनाथ अग्रवाल
- न मंदिर में सनम होते / नौशाद लखनवी
- न मैं कंघी बनाता हूँ न मैं चोटी बनाता हूँ / मुनव्वर राना
- न मैं धन चाहूँ, न रतन चाहूँ / भजन
- न मैं हँसी, न मैं रोयी / गगन गिल
- न मैं हँसी न मैं रोई / गगन गिल
- न यह याद रहता है मुझे / केदारनाथ अग्रवाल
- न रवा कहिये न सज़ा कहिये / दाग़ देहलवी
- न रुकते चरण / महेन्द्र भटनागर
- न लीजै संग / गिरिधर
- न वापसी है जहाँ से वहाँ हैं सब के सब / द्विजेन्द्र 'द्विज'
- न सुर्खी गुंचा-ए-गुल में तेरे दहन की / नज़ीर अकबराबादी
- न सोचा न समझा न सीखा न जाना / मीर तक़ी 'मीर'
- न हटा / केदारनाथ अग्रवाल
- न हुई गर मेरे मरने से तसल्ली न सही / ग़ालिब
- न होगा यक बयाबाँ मांदगी से ज़ौक़ कम मेरा / ग़ालिब
- न होने की गंध / केदारनाथ सिंह
- नंगा न हुआ आदमी बुरा हुआ / केदारनाथ अग्रवाल
- नंद-घरनि ! सुत भलौ पढ़ायौ / सूरदास
- नंद-घरनि आनँद भरी, सुत स्याम खिलावै / सूरदास
- नंद-धाम खेलत हरि डोलत / सूरदास
- नंद का ब्रज प्रत्यागमन / सूरदास
- नंद जू के बारे कान्ह, छाँड़ि दै मथनियाँ / सूरदास
- नंद बुलावत हैं गोपाल / सूरदास
- नंद महर के भावते, जागौ मेरे बारे / सूरदास
- नंदहि कहति जसोदा रानी / सूरदास
- नई क्राकरी के जो बर्तन हाथ से छूटेंगे / हेमन्त शेष
- नई घटनायें/001
- नई घटनायें/002
- नई चेतना / महेन्द्र भटनागर
- नई झनकार / हरिवंशराय बच्चन
- नई पहचान / स्नेहमयी चौधरी
- नई पीढ़ी / रघुवीर सहाय
- नई भोर / अशोक चक्रधर
- नई सदी / जाबिर हुसेन
- नई सदी के रंग में ढलकर हम याराना भूल गए / देवमणि पांडेय
- नई हवाओं का संगीत / सविता सिंह
- नई हावाओं का संगीत / सविता सिंह
- नईम को देखे बहुत दिन हो गए / यश मालवीय
- नए उफ़क खोलने के लिए आमीन! (गुलज़ार) / आलोक श्रीवास्तव-१
- नए कवि का दुख / केदारनाथ सिंह
- नए शहर में बरगद / केदारनाथ सिंह
- नए साल की शुभकामनाएं ! / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- नए सिरे से /नागार्जुन
- नक़्श फ़रियादी है किस की शोख़ी-ए-तहरीर का / ग़ालिब
- नक़्शे-ख्याल दिल से / जोश मलीहाबादी
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