Poem on mother in Hindi 2020 | हिंदी कविता माँ पर :[]
लाख अभाव हो जीवन में, पर मां कभी इनकार नही करती
लाख परेशान हो मां, पर कभी गैरों सा व्यवहार नही करती
सोते जागते दिन रात, मां को तो सिर्फ दिखता औलाद का सुख
मूर्ख है जो ये समझते, के मां उन्हें प्यार नही करती
सांसे भी कई बार मां से सांसे उधार लेती है
पतझड़ भी मां की मुस्कान से बहार लेती है
मां ही एकमात्र फरिश्ता है, इस सम्पूर्ण सृष्टि में
हर सांस मां की वजह से ही तो, धरती पर आकार लेती है
लड़ी जो जाती, अपनों की सुरक्षा के लिये,
मां वो जंग हैकिसी चीज की परवाह नही होती, होती जब मां संग है
फीका है मां बिन जीवन का हर उत्सव हर त्यौहार
देखते ही जिसको हसीन हो जाती उमंगे, मां वो रंग है
अपनी गोदी में लिटाकर मां जन्न्त के सब नजारे दिखाती
पिलाकर परिवार को अमृत, मां सारी कड़वाहट पी जाती
मां के स्वरूप को समझो, मां है खुशियां खिंचने वाली चुम्बक
होती है जिस घर में मां खुश, किस्मत बिन बुलाये वहां आ जाती
मूर्ख नादान है वे सब, जिनको मां की प्रतिभा पर शक है
अरे मां तो उपजाऊं जमीन, मां जीवनदायनी फलक है
किसी बात से डरने की, घबराने की बिल्कुल जरूरत नही
कोई कुछ नही बिगाड़ सकता, प्यारी माँ साथ जब तलक है
जीवन के हर रूप में जो बहता, मां वो अदभुत खून है
मां शास्त्रीय संगीत सी पावन, मां धड़कनों की धुन है
मां से ही बना है, हर ज्ञान, हर कलाकार, हर तजुर्बा जीवन का
मां नवरत्नों सी प्रतिभाशाली, मां जीवन की रुनझुन है
नीरज रतन बंसल'पत्थर'