Hindi Literature
Advertisement
http://www.kavitakosh.orgKkmsgchng
































CHANDER

तुमसे मिलकर

ऐसा लगा जैसे

कोई पुरानी और प्रिय किताब

एकाएक फिर हाथ लग गई हो


या फिर पहुंच गया हूं मैं

किसी पुराने ग्रंथागार में


समय की खुशबू

प्राणों में भर गई


उतर आया भीतर

अतीत का चेहरा


बदल गया वर्तमान

शायद भविष्य भी ।

Advertisement