Hindi Literature
Advertisement
http://www.kavitakosh.orgKkmsgchng
































CHANDER

लाओ अपना हाथ मेरे हाथ में दो

नए क्षितिजों तक चलेंगे


हाथ में हाथ डालकर

सूरज से मिलेंगे


इसके पहले भी

चला हूं लेकर हाथ में हाथ

मगर वे हाथ

किरनों के थे फूलों के थे

सावन के

सरितामय कूलों के थे


तुम्हारे हाथ

उनसे नए हैं अलग हैं

एक अलग तरह से ज्यादा सजग हैं

वे उन सबसे नए हैं

सख्त हैं तकलीफ़देह हैं

जवान हैं


मैं तुम्हारे हाथ

अपने हाथों में लेना चाहता हूं

नए क्षितिज

तुम्हें देना चाहता हूं

खुद पाना चाहता हूं


तुम्हारा हाथ अपने हाथ में लेकर

मैं सब जगह जाना चाहता हूं !

दो अपना हाथ मेरे हाथ में

नए क्षितिजों तक चलेंगे

साथ-साथ सूरज से मिलेंगे !

Advertisement