Hindi Literature
Linaniaj (वार्ता | योगदान)
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Linaniaj (वार्ता | योगदान)
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पान माई इस नक्शे पर झुकी रहती है
 
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पनमाई की दुकान ?
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अपनी दिन भर की कमाई
 
अपनी दिन भर की कमाई

१९:०९, २७ जनवरी २००८ के समय का अवतरण

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CHANDER

आठ-दस केले

आठ-दस अमरूद

और गुड़ के गट्ठर


प्राथमिक पाठशाला के ऎन दरवाज़े पर

सजती है यह दुकान

एक छॊटे से बोरे पर

और धूप में

चमकती रहती है


इस दुकान के तीन सामान

तीन कोनों में रहकर

भारत के नक्शे का बोध देते हैं


पान माई इस नक्शे पर झुकी रहती है

सुबह से शाम तक


सुबह से शाम तक

बच्चों के नन्हे पैर

रुकते हैं

दुकान के सामने

करते हैं बोरे के

बोझ को कम


पानमाई की यह दुकान

अंधेरे से चिढ़ती है

वह नहीं होना चाहती

अंधेरे के क्रिया-कलाप में शरीक


अपनी दिन भर की कमाई

शाम होते ही

पानमाई को सौंपकर

उसके कंधे पर हो जाती है सवार

और पहुँच जाती है

लाला लखन लाल की दुकान


लखन लाल की दुकान की

भव्यता को देखकर

कितना दुखी हो जाती है

पानमाई की दुकान ?

अपनी दिन भर की कमाई

सौंप देती है पानमाई

लाला लखन लाल की दुकान को

थोड़े सत्तू और नमक के लिए


पानमाई !

पैंतीस में हो गई बुढ़िया

पानमाई !

तुम्हें छोड़कर

कहाँ चली गई

तुम्हारी पान बिटिया ?

किस दिशा में

खो गया तुम्हारा पति ?