CHANDER
झूमती चली हवा, याद आ गया कोई
बुझती-बुझती याद को, फिर जला गया कोई !
खो गई हैं मंज़िलें, मिट गए हैं रास्ते
गर्दिशें ही गर्दिशें, अब हैं मेरे वास्ते
- और ऎसे में मुझे फिर बुला गया कोई !
चुप है चांद-चांदनी, चुप यह आसमान है
मीठी-मीठी नींद में सो रहा जहान है
- आज आधी रात को क्यों जगा गया कोई !