Hindi Literature
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लेखक: नईम

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रहते आए

जनम जनम से

अमलदारियों में इन-उनकी

रंग, रूप, खुशबू की खातिर

खिले क्यारियों में इन-उनकी।


हाल पूछते हो क्या अपने?

आते नहीं नींद में सपने

रातें रहीं बदलती करवट

बेकरारियों में इन-उनकी।


अपने करे धरे पर पानी

फेर रहे हैं वो लासानी

नाचा किए विवश हो होकर,

हम नचारियों में इन-उनकी।


बिना पोस्टर के विज्ञापित

बिकने को हैं हम अभिशापित

दबे हुए हैं जाने कब से

हम बुखारियों में इन-उनकी।

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