
CHANDER
<poem>
- जब-जब मैंने सोचा मन में —
- क्या सार रखा है जीवन में ?
- है जब क़दम-क़दम पर फिसलन
- औ’ अपमान, व्यथाएँ, बंधन ;
- पर, मिटने की जब-जब ठानी
- मम वसुधा-सम प्राण न माने !
- इति का कहना क्या, जब अथ में
- दुख-ही-दुख है जीवन-पथ में,
- शूलों का अम्बार लगा है,
- कटुता का बाज़ार लगा है,
- पर, रुकने की जब-जब ठानी
- मम ध्रुव-सम ये प्राण न माने !
1945