Hindi Literature
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CHANDER अनुवाद की भाषा से अच्छी क्या भाषा हो सकती है

वही है एक सफ़ेद परदा

जिस पर मैल की तरह दिखती है हम सबकी कारगुजारी


सारे अपराध मातृभाषाओं में किए जाते हैं

जिनमें हरदम होता रहता है मासूमियत का विमर्श


ऐसे दौर आते हैं जब अनुवाद में ही कुछ बचा रह जाता है

संवेदना को मार रही है

अपनी भाषा में अत्याचार की आवाज़ !