Hindi Literature
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साँचा:KKAnooditRachna

लेट कर जब मैंने

दर्पण में झाँका

सोचा कि देखूंगा

हरापन बाँस का

दर्पण में दिखाई दिया मुझे

नीला प्रतिबिम्ब आकाश का ।


ऎसा लगा अचानक

जैसे किसी ने

आँखों पर मेरी किया हो वार

बेहोश हो गया मैं

सिर चकराने लगा मेरा

कठोर था, बेहद कठोर

अनुभव का यह प्रहार ।