Hindi Literature
http://www.kavitakosh.org
































CHANDER <poem>

मेरे अधर अधर से छू लेने दो!

    अधर अधर से छू लेने दो!

है बात वही मधुपाश वही,

  सुरभीसुधारस पी लेने दो!
         अधर अधर से छु लेने दो!

कंवल पंखुरी लाल लजीली,

   है थिरक रही ,नयी कुसुमसी!

रश्मि नुतन को सह लेने दो!

          मेरे अधर अधर से छू लेने दो!

तुम जीवन की मदमदाती लहर,

          है वही डगर ,

डगमग पग्भर,

    सुख्सुमन-सुधा रस पी लेने दो!

मेरे अधर अधर से छू लेने दो!

    अधर अधर से छू लेने दो!