Hindi Literature
http://www.kavitakosh.org
































CHANDER

अजीब सानेहा मुझ पर गुजर गया यारो
मैं अपने साए से कल रात डर गया यारो

हर एक नक्श तमन्ना का हो गया धुंधला
हर एक ज़ख्म मेरे दिल का भर गया यारो

भटक रही थी जो कश्ती वो ग़र्क-ए-आब हुई
चढ़ा हुआ था जो दिरया उतर गया यारो

वो कौन था वो कहां का था क्या हुआ था उसे
सुना है आज कोई शख्स मर गया यारो