
CHANDER
<poem>
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हम बालक हैं, हम बन्दर हैं,
हम भोले-भाले सुन्दर हैं !
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हर रोज़ सुबह उठ जाते हैं,
मुँह धोकर बिस्कुट खाते हैं !
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दो कप चाय गरम जब मिलती
तब यह सूरत जाकर खिलती ! . फिर, पंडितजी से पढ़ते हैं, हम नहीं किसी से लड़ते हैं ! . माँ के कहने पर चलते हैं, ना रोते और मचलते हैं ! . दिन भर हँसते-गाते रहते, भारत-माता की जय कहते ! . हम रहते भाई मिल-जुल कर हो भला हमें फिर किसका डर ?