Hindi Literature
http://www.kavitakosh.org
































CHANDER <poem> . हम बालक हैं, हम बन्दर हैं, हम भोले-भाले सुन्दर हैं ! . हर रोज़ सुबह उठ जाते हैं, मुँह धोकर बिस्कुट खाते हैं ! .

		दो कप चाय गरम जब मिलती

तब यह सूरत जाकर खिलती ! . फिर, पंडितजी से पढ़ते हैं, हम नहीं किसी से लड़ते हैं ! . माँ के कहने पर चलते हैं, ना रोते और मचलते हैं ! . दिन भर हँसते-गाते रहते, भारत-माता की जय कहते ! . हम रहते भाई मिल-जुल कर हो भला हमें फिर किसका डर ?