Hindi Literature
http://www.kavitakosh.org
































CHANDER

पार्क में बैठा रहा कुछ देर तक

अच्छा लगा,

पेड़ की छाया का सुख

अच्छा लगा,

डाल से पत्ता गिरा- पत्ते का मन,

अब चलूँ सोचा,

तो यह अच्छा लगा...