Hindi Literature
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CHANDER

कल या कि परसों

हुआ एकाएक भाग्योदय

पकड़ लिया मल्का-ए-तरन्नुम

नूरजहाँ को

रेडियो पाकिस्तान से प्रसारित प्रोग्राम में

सुनाई पड़ी उस सुकण्ठी की स्वर लहरी

‘कजरारी अँखियों में निदिया न आए

जिया घबराए

पिया नहिं आए

कजरारी अँखियाँ में ......’


सारा दिन सारी रात

गूँजती रहीं

मेरे कर्ण-कुहरों में

गीत की कड़ियाँ


हुआ अचानक भाग्योदय

कई वर्षों बाद

कल या कि परसों !