Hindi Literature
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CHANDER

अगर सफ़र में मेरे साथ मेरा यार चले,

तवाफ़ करता हुआ मौसमे-बहार चले।


लगा के वक़्त को ठोकर जो ख़ाकसार चले,

यक़ीं के क़ाफ़िले हमराह बेशुमार चले।


नवाज़ना है तो फिर इस तरह नवाज़ मुझे,

कि मेरे बाद मेरा ज़िक्र बार-बार चले।


ये जिस्म क्या है, कोई पैरहन उधार का है,

यहीं संभाल के पहना,यहीं उतार चले।


ये जुगनुओं से भरा आस्माँ जहाँ तक है,

वहाँ तलक तेरी नज़रों का इक़्तिदार चले।


यही तो इक तमन्ना है इस मुसाफ़िर की,

जो तुम नहीं तो सफ़र में तुम्हारा प्यार चले।


शब्दार्थ : तवाफ़=परिक्रमा; इक़्तिदार= प्रभुत्व