Hindi Literature
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CHANDER

अगर वो कारवाँ को छोड़ कर बाहर नहीं आता

किसी भी सिम्त से उस पर कोई पत्थर नहीं आता


अँधेरों से उलझ कर रौशनी लेकर नहीं आता

तो मुद्दत से कोई भटका मुसाफ़िर घर नहीं आता


यहाँ कुछ सिरफिरों ने हादिसों की धुंध बाँटी है

नज़र अब इसलिए दिलकश कोई मंज़र नहीं आता


जो सूरज हर जगह सुंदर—सुनहरी धूप लाता है

वो सूरज क्यों हमारे शहर में अक्सर नहीं आता


अगर इस देश में ही देश के दुशमन नहीं होते

लुटेरा ले के बाहर से कभी लश्कर नहीं आता


जो ख़ुद को बेचने की फ़ितरतें हावी नहीं होतीं

हमें नीलाम करने कोई भी तस्कर नहीं आता


अगर ज़ुल्मों से लड़ने की कोई कोशिश रही होती

हमारे दर पे ज़ुल्मों का कोई मंज़र नहीं आता


ग़ज़ल को जिस जगह ‘द्विज’, चुटकुलों सी दाद मिलती हो

वहाँ फिर कोई भी आए मगर शायर नहीं आता