रचनाकार: तारा सिंह
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- अगर फूल -काँटे में फरक हम समझते
- बेवफा तुमसे मुहब्बत न हम करते
- जो मालूम होता अन्जामे - उल्फत
- यूँ उल्फत से गले न हम लगते
- बहुत दे चुके हैं इन्तहाएं मुहब्बत
- न होती मजबूरियाँ , शिकायत न हम करते
- अगर होता मुमकिन तुम्हें भूल जाना
- खुदा की कसम मुहब्बते- खत न हम लिखते
- जो मालूम होता ,मुहब्बते बर्वादी में तुम भी हो
- शामिल , तो एहदे मुहब्बत न हम करते