Hindi Literature
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CHANDER

हम उस यात्रा में
अकेले क्यों रह जायेंगे ?
साथ क्यों नहीं आयेगा हमारा बचपन,
उसकी आकाश-चढ़ती पतंगें
और लकड़ी के छोटे से टुकड़े को
हथियार बनाकर दिग्विजय करने का उद्यम-
मिले उपहारों और चुरायी चीजों का अटाला ?

क्यों पीछे रह जायेगा युवा होने का अद्भुत आश्चर्य,
देह का प्रज्जवलित आकाश,
कुछ भी कर सकने का शब्दों पर भरोसा,
अमरता का छद्म,
और अनन्त का पड़ोसी होने का आश्वासन?

कहाँ रह जायेगा पकी इच्छाओं का धीरज
सपने और सच के बीच बना
बेदरोदीवार का घर
और अगम्य में अपने ही पैरों की छाप से बनायी पगडण्डियाँ ?
जीवन भर के साथ-संग के बाद
हम अकेले क्यों रह जायेंगे उस यात्रा में ?
जो साथ थे वे किस यात्रा पर
किस ओर जायेंगे ?

वे नहीं आयेंगे हमारे साथ
तो क्या हम उनके साथ
जा पायेंगे ?