Hindi Literature
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CHANDER

मैं ही जलती हूँ

मैं ही बुझती हूँ

कभी अगरबत्ती की सुगंध बन जाती हूँ

कभी धुँआ उगलती चिमनी

अंधेरे में हो या उजाले में

मैं ही तो हूँ

और कोई नहीं

कोई नहीं...