Hindi Literature
http://www.kavitakosh.org
































CHANDER


गुंधे हुए आटे के भीतर

छिपी हुई हैं अनगिनत रोटियाँ

और वे औरतें जानती हैं

जो जाँते में पीसती हैं पिसान

जिनके भीतर धधक रहा होता

है तन्दूर

जो बहुत दूर से कुँए से

खींचती हैं जल

जंगल से बीनती हैं लकड़ियाँ

जो चूल्हे की पूजा करती हैं

और भोजन बनाने के बाद

पहला कौर अग्नि को

समर्पित करती हैं


ये औरते जानती हैं

रोटियों के अन्दर छिपी हुई है

अनन्त भूख

और हर रोज़ उनकी तादाद

कम होती जा रही है

चौके में बढ़ते जा रहे हैं लोग


वे तो भूखे पेट सो जाती हैं

लेकिन अन्तिम कौर तक

गेहूँ और चूल्हे के सम्मान की

रक्षा करती हैं