
CHANDER
उसने कुछ सपने
मेरी हथेली पर रख
मुट्ठी बन्द कर दी
पसीजी मुट्ठी लिए
मैं देखने लगी सपने
बीजों में अंकुर
अंकुर में रेशा
रेशे में जड़
दो पत्तियों पर खड़ा हुआ
लहराता दरख्त
आँख खुली तो पाया
उनके हिस्से में खड़ा था
वही दरख्त
जिसे लगाया था मैंने
अपने आँगन में